'' दर्द ऐ दिल को छुपाता हैं
कोई ।
किसी की याद में,
ज़िन्दगी
बिताता हैं कोई ।
''कहता हैं पागलपन जिसे ज़माना
''हाल ऐ दिल रो के दिखता हैं
कोई ।
दर्द के अहसास से ही बिखर जाता हैं कोई ।
''जिस ज़माने को समझ नहीं सका
ज़माना
उसे हाल ऐ दिल क्या बताता हैं कोई ।
''कभी खुलकर मिलने से घबराता
हैं कोई।
कभी खुद से ही शर्माता है कोई ।
''डरता हैं कोई कहने से दिल
की बात
कहीं खुद को खुद से ही छुपाता हैं कोई ।
''कहीं मोहब्बत के नाम से ही
इतराता हैं कोई।
कभी निगाहों ही निगाहों ,में बस जाता हैं कोई ।
''चाहता है ,हर पल जिसे दिल अपना
उन पलो को खुशगवार बनता है
कोई ।
''राहो में पलके, किसी की बिछाता है कोई।
चुपके से दिल में ,समाता हैं कोई ।
''हर आहाट पर जिनकी धडकता हो
दिल
उस ज़िन्दगी को मुकम्मल बनता हैं कोई ।
''मोहब्बत का क़र्ज़ कहाँ उतार
पाता हैं कोई ।
कहीं अपनों से ही घबराता है कोई ।
''ढूंढती रहती हैं नज़रे ,जिसको यहाँ
वो दिल में ही कहीं मिल जाता हैं कोई
।
*************राजेश कुमार "आतिश’’*************

Shandar
ReplyDeleteशुक्रिया आपका कृपया मेरे ब्लॉग को follow करे धन्यवाद
Deleteबहुत ही उम्दा लिखा है।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका कृपया मेरे ब्लॉग को follow करे धन्यवाद
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