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Tuesday, 31 March 2020

है कोई


'' दर्द ऐ दिल को छुपाता हैं कोई  

किसी की याद में, ज़िन्दगी बिताता हैं कोई  

''कहता हैं पागलपन जिसे ज़माना 

मोहब्बत उसे बताता हैं कोई  

 

''हाल ऐ दिल रो के दिखता हैं कोई  

दर्द के अहसास से ही बिखर जाता हैं कोई  

''जिस ज़माने को समझ नहीं सका ज़माना

उसे हाल ऐ दिल क्या बताता हैं कोई  

 

''कभी खुलकर मिलने से घबराता हैं कोई।  

कभी खुद से ही शर्माता है कोई  

''डरता हैं कोई कहने से दिल की बात 

कहीं खुद को खुद से ही छुपाता हैं कोई  

 

''कहीं मोहब्बत के नाम से ही इतराता हैं कोई।  

कभी निगाहों ही निगाहों ,में बस जाता हैं कोई  

''चाहता है ,हर पल जिसे दिल  अपना 

 उन पलो को खुशगवार बनता है कोई  

 

''राहो में पलके, किसी की बिछाता है कोई।  

चुपके से दिल में ,समाता हैं कोई  

''हर आहाट पर जिनकी धडकता हो दिल

उस ज़िन्दगी को मुकम्मल बनता हैं कोई  

 

''मोहब्बत का क़र्ज़ कहाँ उतार पाता हैं कोई  

कहीं अपनों से ही घबराता है कोई  

''ढूंढती रहती हैं नज़रे ,जिसको यहाँ

वो दिल में ही कहीं मिल जाता हैं कोई

 

*************राजेश कुमार "आतिश’’*************




 






4 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया आपका कृपया मेरे ब्लॉग को follow करे धन्यवाद

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  2. बहुत ही उम्दा लिखा है।

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    1. शुक्रिया आपका कृपया मेरे ब्लॉग को follow करे धन्यवाद

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