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Wednesday, 23 September 2020

चल ऐ दोस्त फिर बचपन में चले

 


चल ऐ दोस्त फिर बचपन में चले। 

बस धोखे ही मिले बड़े होके हमें। 

वही खेल खिलोने वही गुडिया वो झूले। 

वो कागज की नाँव चाल बारिश में खेले। 

 

टॉफी दिलाती चार वो प्यारी आठानी। 

 वो क्रिकेट का बेट वो फुटबाल पुरानी। 

चम्पक की दुनिया में लोमड़ी सयानी। 

वो कॉमिक्स के हीरो की अनोखी कहानी। 

 

वो पापा की डांट वो माँ का बचाना। 

पेन्सिल के रंगों से दीवारें सजाना। 

वो दीवारे लाँघ के गेंद लेने जाना। 

वो अंकल का हम पे जोर से चिल्लाना। 

 

बिजली ना होने का नहीं होता था बहाना। 

लालटेन की रौशनी में पढना ' पढ़ाना। 

‘’वो दौर ही अलग था वो अलग ही था ज़माना। 

सब अपने ही थे नहीं था कोई बैगाना। 

 

ज़हन में ताज़ा आज भी बचपन की परछाइयाँ। 

बस यादे बची हैं गुम हो गई निशानियाँ।  

 

**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********


 

 

 

 

Wednesday, 2 September 2020

ताउम्र इन आँखों में 'उनका इंतज़ार रहा।

 


"ताउम्र इन आँखों में 'उनका इंतज़ार रहा।

 "जो शहर मे हो के भी ' मुझसे बेज़ार रहा।

"जो खोजने निकला 'सुकून के चार पल।

"नहीं कोई भी मेरा 'अब मददगार रहा।

"तन्हाई को ही अपना ' मान बेठे है हम।

 "जबसे मौसम मेरा 'ना खुशगवार रहा।

"मंज़िल की तलाश में ' जो निकला था घर से।

 " के रास्ता ही मेरा ना ' अब 'तलबगार रहा ।

" यकीं था उन पर ' वो साथ निभाएंगे ।

 पर खुद पर ही उनका ' ना ऐतबार रहा।

" बेरुखी का इलज़ाम वो लगाये है हम पर ।

 "जो मेरे क़त्ल का खुद गुनहगार रहा।

**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********


उम्र ऐ तन्हा गुज़र 'जाने के बाद ।

 


"उम्र ऐ तन्हा गुज़र 'जाने के बाद।

 वो लौट के आया ' मेरे जाने के बाद।

"ताउम्र इंतज़ार किया ' मेने उनका

 उस मोड़ पर मुझे ' छोड़ जाने के बाद।

‘’बेठे रहें याद कर ' उन किस्सों को

 ज़िक्र था जिसमे उनका ' जाने के बाद।

"चला जाता हूँ अक्सर उन गलियों में।

 जहाँ आज भी है महक उनकी ' जाने के बाद।

"आओ मिटा दे ' हर अस्क़ाम इस दिल से।

 " रह न जाए कोई ' खलिश मिट जाने के बाद।

"काश होता इल्म 'उन्हें बिछड़ने का

यूँ रह ना जाता मुझमे ,दूर जाने के बाद।

**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********


Tuesday, 1 September 2020

वो सिर्फ मेरी है यह गीत कई बार उसने सुनाया हमे।

 


"वो सिर्फ मेरी है यह गीत कई बार उसने सुनाया हमे।

"में समझा जिसे अपना सब कुछ 'उसी ने फिर झुटलाया हमे।

 "उसने खुद से कभी अपना ना बनाया हमे।

 "उसके झूठे अहम् ने आज खुद उस से दूर कराया हमे।

 

 "बीच राह में उसने ऐसा छोड़ा मेरा साथ।

 "के लौट के कभी फिर न पुकारा हमें।

 "एक बार ही समझाता अपनी मज़बूरी की वजह।

 "छोड़ देना भी फिर उसका था गवारा हमें।

 

"देता था जो कभी अपनी ज़ुल्फ़ों का सहारा हमें।

 "छोड़ गया अचानक वो युहीं बेसहारा हमें।

 "के टूट के बिखरा में यूँ इस कदर।

 "के फिर किसी ने ना संवारा हमे।

 

"कैसे समझाऊँ उसे की वो कितना हैं प्यारा हमे।

 "जिसकी चाहत ने ही था निखारा हमे।

 "उसका नाम भी शामिल है मेरी बर्बादी पर।

 "और न जाने किस किस ने है फिर बिगारा हमे।


**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********