"वो सिर्फ मेरी है यह गीत कई बार उसने
सुनाया हमे।
"में समझा जिसे अपना सब कुछ 'उसी ने फिर झुटलाया
हमे।
"उसने खुद से कभी अपना ना बनाया हमे।
"उसके झूठे अहम् ने आज खुद उस से दूर कराया हमे।
"बीच राह में उसने ऐसा छोड़ा मेरा साथ।
"के लौट के कभी फिर न पुकारा हमें।
"एक बार ही समझाता अपनी मज़बूरी की वजह।
"छोड़ देना भी फिर उसका था गवारा हमें।
"देता था जो कभी अपनी ज़ुल्फ़ों का सहारा
हमें।
"छोड़ गया अचानक वो युहीं बेसहारा हमें।
"के टूट के बिखरा में यूँ इस कदर।
"के फिर किसी ने ना संवारा हमे।
"कैसे समझाऊँ उसे की वो कितना हैं प्यारा
हमे।
"जिसकी चाहत ने ही था निखारा हमे।
"उसका नाम भी शामिल है मेरी बर्बादी पर।
"और न जाने किस किस ने है फिर बिगारा हमे।
**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********

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