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Saturday, 13 June 2020

अपनी यादो में फिर से डुबाने के लिये आ।



 ''अपनी यादो में फिर से डुबाने के लिये आ।
आ मेरी बर्बादी का मातम मनाने के लिए आ।
''हैं भीगा दामन आज अपने ही आसुँओं में।
चल फिर से मुझको रुलाने के लिये आ।

''आ मेरे अरमानो को फिर से जलाने के लिए आ।
झूठा ही सही प्यार जताने के लिए आ।
तू मेरा नहीं यह जनता हूँ में।
आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ।

''आ फिर से मुझे आजमाने लिए आ।
मेरे गम को फिर से बड़ाने के लिए आ।
''ज़ख्म ही दिए तूने सदा ही मुझको।
आ कभी मरहम भी लगाने के लिए आ।

''चल फिर से अपनी बात मनवाने के लिए आ।
ना दी कोई सौगात फिर फिर भी जताने के लिए आ।
''फिर कोई बहाना बनाने के लिए आ।
आ मेरी मुझसे पहचान कराने के लिए आ।

**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********

2 comments:

  1. क्या बात है ☺👌💕

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका और भी कवितायेँ पढ़ें आप ब्लॉग पर धन्यवाद

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