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Saturday, 6 June 2020

दरबारे वतन में


''दरबारे वतन में जब एक दिन सब जाने वाले जायेंगे। 
कुछ अपनी सज़ा को पहुंचेंगे ,कुछ अपनी जजा ले जायेंगे। 

''ऐ ख़ाक नशीनो उठ बेठो ,वो वक़्त करीब आ पहुंचा है। 
जब तख़्त गिरायें जायेंगे। जब ताज उछाले जायेंगे 

''अब टूट गिरेंगी जंजीरें ,अब जिन्दानों की खेर नहीं 
जो दरिया झूम के उठे हैं ,तिनको से ना टाले जायेंगे। 

''कटते भी चलो 'बड़ते भी चलो 'बाजू भी बहुत हैं सर भी बहुत। 
चलते भी चलोगे अब डेरे 'मंजिल पे ही टाले जायेंगे 

''ऐ जुल्म के मारों लैब खोलो 'चुप रहने वालो चुप कब तक। 
कुछ हर्ष तो इनसे उठेगा 'कुछ दूर तो नाले जायेंगे 

''दरबारे वतन में जब एक दिन सब जाने वाले जायेंगे। 



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