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Saturday, 6 June 2020

श्रेष्ठ भारत ( भारत एक खोज )



''श्रृष्टि से पहले सत्य नहीं था। 
असत्य भी नहीं ' अंतरिक्ष भी नहीं था। 
छिपा था क्या , कहाँ किसने ढका था। 

''श्रृष्टि का कौन हैं करता ,करता हैं वाहा करता। 
 ऊँचे आकाश में रहता ,सदा अध्यक्ष बना रहता। 
''वो ही सच में जानता ,या नहीं भी जानता 
 हैं किसी को नहीं पता ,नहीं हैं पता। 
 नहीं हैं पता।......... 

''वो था हिरण्य गर्भ श्रृष्टि से पहले विद्यमान। 
 वो ही तो सारे भूत जात का स्वामी महान। 
''जो हैं अस्तित्व मान, धरती आसमान धारण कर। 
 ऐसे किसी देवता की उपासना करें ' हम हवी देकर। 

''जिसके बल पर तेजोमय हैं अम्बर। 
 पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर। 
''स्वर्ग और सूरज भी स्थिर। 
 ऐसे किसी देवता की उपासना करें ,करें हम हवी देकर। 

''गर्भ में अपने अग्नि ' धारण कर पैदा कर। 
व्यापा था जल इधर उधर निचे ऊपर। 
जगा चुके वो कई का मेघा प्राण बनकर। 
ऐसे किसी देवता की उपासना करें हम हवी देकर। 

''ॐ श्रृष्टि निर्माता स्वर्ग रचयिता पूर्वज रक्षा कर। 
सत्य धरम पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर। 
''फेली हैं दिशायें बाहू ,जैसी उसकी सब में सब पर। 
ऐसे ही देवता की उपासना करें 'हम हवी देकर। 

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