“वो करती हैं। प्यार मुझसे इतना ‘क्यों मुझको मुझी से चुराती हैं।
बाँहों में मेरी भर के खुद को ‘फिर क्यों मुझसे वो शर्माती हैं।
‘’वो तनहा रातों में आके ‘चुपके से मुझे जगती हैं।
दिखाकर मीठा सा एक सपना ‘वो जाने कहाँ खो जाती हैं।
“ये पूछता हूँ में उससे अक्सर ‘इतना क्यों मुझे सताती हैं।
ख्हाबों में आके मेरे ‘क्यों इतना प्यार जताती हैं।
“वो करती हैं। मुझसे प्यार ‘इतना ‘तुम दूर उसे ले जाते हो।
छोटी सी हैं। चाहत हमारी ‘तुम वो भी नहीं सह पाते हो।
“में उसका हूँ ‘वो मेरी हैं। ‘इससे तुम इनकार क्यूँ जताते हो।
जीने मरने की हमने ली कसम ‘फिर तुम क्यों खलल जाते हो।
“मेरी मोहब्बत के बारे में ‘तुम क्या मुझे समझाते हो।
गर इतना समझते हो। मोहब्बत को ‘क्यों मुझसे मेरी मोहब्बत छुपाते हो।
**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********
वाह! शानदार!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया नितिन भाई
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