समर्पण ब्लॉग में आपका स्वागत हैं मुझे आशा हैं आपको मेरी लिखी कवितायेँ पसंद आएँगी आप से अनुरोध हैं कृपया ब्लॉग के सभी पेज की पोस्ट ज़रूर देखें 'पढ़ें और कमेंट करें 'आप का स्नेह और साथ ऐसे ही बना रहें ....आप मुझे फेसबुक और ट्विटर पर भी follow कर सकते हैं

Monday, 17 August 2020

वो करती हैं। प्यार मुझसे इतना

 

“वो करती हैं। प्यार मुझसे इतना ‘क्यों मुझको मुझी से चुराती हैं।

बाँहों में मेरी भर के खुद को ‘फिर क्यों मुझसे वो शर्माती हैं।

 

‘’वो तनहा रातों में आके ‘चुपके से मुझे जगती हैं।

दिखाकर मीठा सा एक सपना ‘वो जाने कहाँ खो जाती हैं।

 

“ये पूछता हूँ में उससे अक्सर ‘इतना क्यों मुझे सताती हैं।

ख्हाबों में आके मेरे ‘क्यों इतना प्यार जताती हैं।

 

“वो करती हैं। मुझसे प्यार ‘इतना ‘तुम दूर उसे ले जाते हो।

छोटी सी हैं। चाहत हमारी ‘तुम वो भी नहीं सह पाते हो।

 

“में उसका हूँ ‘वो मेरी हैं। ‘इससे तुम इनकार क्यूँ जताते हो।

जीने मरने की हमने ली कसम ‘फिर तुम क्यों खलल जाते हो।

 

“मेरी मोहब्बत के बारे में ‘तुम क्या मुझे समझाते हो।

गर इतना समझते हो। मोहब्बत को ‘क्यों मुझसे मेरी मोहब्बत छुपाते हो।

**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********

2 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया नितिन भाई

      Delete