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Tuesday, 14 January 2020

‘’ काश कहीं इंसान मिले।


यह पंक्तिया उस इंसान की कल्पना हैं जो कभी अफगानिस्तान ,ईराक ,इजिप्ट सीरिया
जैसे देशो में घुमा था और आज वहां की खूबसूरती की जगह उसे सिर्फ बर्बाद शहर खण्डार
इमारते ,लुटती ,पिटती ,इंसानियत लाशो से पटे कब्रिस्तान ही नज़र आये तब उसके
मन से जो निकला वो कलम बद्ध यहाँ प्रस्तुत हैं ===================================================
'' मज़हब की इस दुनिया में , काश कहीं इंसान मिले। इंसानो का क़त्ल करते मुझको , बस कई हैवान मिले। ''दोजख करके इस जन्नत को किस जन्नत की शान मिले। जाने किस जन्नत की खातिर , होते सब कुर्बान मिले।
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'' गैर मज़हबी को क़त्ल करने के क्यों यहाँ फरमान मिले। हर थोड़ी दुरी पर मुझको , बस यहाँ कब्रिस्तान मिले ' ''अपनों की लाशें दफ़न करते ,कई लोग अंजान मिले। ज़हन में जिनके उठते कई , सवाल परेशान मिले।
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''काश किसी के दिल में मुझको , थोड़ा सा ईमान मिले। लोगो की इस भीड़ में ............क्यों सब बेईमान मिले ''उस रब के रहबर मैं उठती , कोई सच्ची आज़ान मिले। दिल में सिर्फ चाहत लिए खड़ा , हर शख्स निगेहबान मिले।
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'' खूबसूरत से शहर ये सारे क्यूँ , मुझको अब वीरान मिले। थी कभी यहाँ भी रंगत........जिसके मुझको निशान मिले। '' ''हैं चलते फिरते लोग यहाँ 'पर मुझको सब बेज़ान मिले। बम , बन्दुक , बारूद से हटकर , कोई प्यारा सा सामान मिले।
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''ऐसे कर्मो से जग में .................तुझको कहाँ आन मिले। नेकी की राह पे चल ..............जहाँ सच्ची पहचान मिले। ''रब की इस दुनिया में कहीं , सच्चे दिलो की खान मिले। इस धरती पर मुझको कहीं तो ......ऐसे मेहरबान मिले ।
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''हर मोड़ पे सबको एक दूसरे का साथ और सम्मान मिले। प्रेम अहिंसा और शांति के ,दिल में जिनके अरमान मिले। ''इस मुश्किल सफर में मुझको , कोई राह आसान मिले। रहें सुकून से इन्सान जहाँ , ..........कोई ऐसा माकान मिले।
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''सरहदो में न उलझा हुआ कहीं खुला आसमान मिले। इस जहाँ में मुझको कहीं .............ऐसा जहान मिले। ''सुन मेरे जज़्बातों से होते , कई लोग हैरान मिले। कौन जाने किसी दिन पढता कोई मेरा यह दीवान मिले।

       *************राजेश कुमार "आतिश"**************

इमानदार भ्रस्ट नेता की सलाह एक राष्टवादी व्यक्ति को ....!!


" आज कल कुछ दोस्त हमारे हमसे कतराने लगे है
  वो देश भक्ति का मतलब हमको ही समझाने लगे है ,

" इस कलयुग में जहाँ अपनों ने अपनों का साथ छोड़ा है
  तुम गेरों के लिए आवाज़ उठाते हो ,
  छोड़ो ये राष्ट्र भक्ति और स्वदेशी का नारा,
  क्यूँ इसमे अपनी ज़िन्दगी खपाते हो

" आओ तुम्हे में नया हुनर सिखाता हूँ ,गेरों को तो छोड़ो
  अपनों को लुटने का मन्त्र बताता हूँ ,
  ना लोक तंत्र ,ना प्रजातंत्र ,चुनाव तंत्र को सिख के आगे बढ़ो ,
  और सबसे पहला कदम ही देश के स्वाभिमान पर धरो |

" देखो चुनाव में लोगो को एक दूसरे के खिलाफ भड़काना होता है
  और देना गरीबी हटाने के आश्वासन का बहाना होता है

" इस तरह गोलमाल तरीको से तुम भी चुनाव जीत जाओगे |
  फिर अपनी ही पार्टी में ऊँचे पद के लिए शर्त लगाओगे ,

" पद पर बैठते ही तुम भी कुछ नीतिया ,कुछ प्रस्ताव,
  और कुछ योजनाये लागू करना ,
  और उन्ही पैसों से तुम अपने विदेशी खाते,घर ,और तिजोरियां भरना |

" इस तरह तुम्हे भी बंगले में रहना और मंहगी कारो में घूमना भाने लगेगा |
  और तुम्हारा भी मन गेरों को तो क्या अपनों को सताने में लगेगा

" तब तुम भी बहुत जल्द ये भाई चारा भूल जाओगे ,
  और रोटी ,पाव तो क्या पशु चारा भी खा जाओगे ,

" इस तरह तुम पूर्णत:इमानदार भ्र्स्ताचारी बन जाओगे |
  और तब जाके तुम असली नेता कहलाओगे
  क्यों की एक नेता ही पूर्ण और  निष्पक्ष रूप से,
  और इमानदार तरीको से भ्रस्टाचार करता है |
  और इस तरह वो अपनी पूरी ईमानदारी का सबूत
  हर विभाग , दफ्तर और कार्यालय में धरता है |
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*************राजेश कुमार "आतिश"**************

Sunday, 12 January 2020

''ऐ वतन ऐ वतन हम को तेरी कसम '' तुझे बेच के ही पूरा अब दम लेंगे हम |

''नोचते भी गए ,लुटते भी गए देश के नेता सिर्फ यही जाने ,
 जीना तो उसी का जीना है जो लूटना अपने वतन को जाने "
''ऐ वतन ऐ वतन हम को तेरी कसम  |
 तुझे बेच के ही पूरा अब दम लेंगे हम   |
 मात्रभूमि क्या चीज़ है विदेशियों के कदमो में हम ,
 इस देश के स्वाभिमान को चढ़ा जायेंगे
"ऐ वतन ऐ वतन ........

''कोई अमरीका से ,कोई ऑस्ट्रेलिया से ,कोई चाइना से है कोई है ब्रिटेन से ,
 विदेशी कम्पनियो को फिर से बुला बुला के लाये है हम
"हर इक राष्ट्र से दुनिया के हर इक कोनो से ,
 हर इक राष्ट्र से दुनिया के हर इक कोनो से ........
 पार्टी कोई भी सही पर धर्म (पैसा) एक है |
 घोटालो पे घोटाले करते जायेंगे हम |
"ऐ वतन ऐ वतन ........

''हम रहें न रहें इसका कुछ गम नहीं ,
 इस देश को तो पूरा नोंच खायेंगे हम |
"हमारी पीढियां ऐश से जियेंगी तो क्या
 माँ भारती को पूरा लहू लुहान कर जायेंगे हम |
 माँ भारती को पूरा लहू लुहान कर जायेंगे हम.............
 बेच के विदेशियों के हाथो में इस देश को
 देखना फिर से गुलाम हम बना जायेंगे |
"ऐ वतन ऐ वतन ........

"तेरी जानिब उठी जो सरफरोशी की लहर ,
 उस लहर को मिटाते ही जायेंगे हम
"मेरे विदेशी खातो पे जो रखी तुने कहर की नज़र ,
 उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
 उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम ...........
 जो भी पद आएगा , अब सामने
 उस पद की गरिमा को भी हम मिटा जायेंगे |
"ऐ वतन ऐ वतन ........

"चाहे गालियाँ दो,या मुहं पे थप्पड़ जड़ो ,
 देश को बेचने अब हम चल दिए
 बहुमत दिया था लोगो ने जिस हाथ से ,
 उन्हें विदेशी बेड़ियों में जकड के हम निकल लिए
" तुम न देखोगे कल की बहारे तो क्या 
 अपनी पीढ़ियों के लिए तो हम कमा जायेंगे |

''ऐ वतन ऐ वतन हम को तेरी कसम  |
 तुझे बेच के ही पूरा अब दम लेंगे हम   |

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*************राजेश कुमार "आतिश"**************

तब तुम्हे भी अपने भारतीय होने पर खेद होगा |


''जब राजनीती का रुपय से नाजायज़ सम्बन्ध जुड़ता है "
 तब जाके राजनीती की कोख से भ्रस्टाचार उमड़ता है ,
''जब संसद के सदनों में लोकतंत्र को दफनाया जायेगा |
और संविधान का कफ़न बनाकर उस पर बिछाया जायेगा |
यह देख हर भारत वासी अपने भारतीय होने पर खेद करेगा
क्यों की आने वाला हर नेता ही लोकतंत्र  के कफ़न में छेद करेगा |

"जब अपने ही मुल्क में तिरंगे को जलाया जाता है
और मानवाधिकार के नाम पर आतंकियों को दूध पिलाया जाता है |
जब किसी बम कांड में इनका कोई अपना मरेगा
तब जाके शायद कोई नेता इन आतंकियों का विरोध करेगा |

"जब हर व्यक्ति सिर्फ अपने हित का गान करेगा
और अपने निजी स्वार्थो के लिए अपनों से ही लडेगा |
सिर्फ अपने मान का डर ही सबको सतायेगा
और राष्ट्र के स्वाभिमान पर हर कोई पुष्प चढ़ाएगा |
इस कुंठित मानसिकता से ग्रस्त जब हर व्यक्ति होगा
तब तुम्हे भी अपने भारतीय होने पर खेद होगा |

"जब नीतियाँ ही रीतियों को दबाने लगे
और अपने ही अपने घर को जलने लगे |
जब सच बोलने से हर कोई घबराने लगे
और पंछी उड़ने से ही कतराने लगे |
जब इस देश का हर वासी अनदेखी बेड़ियों में कैद होगा '
तब तुम्हे भी अपने भारतीय होने पर खेद होगा |

"जब अपने ही मुल्क में अपने धर्म को पूज ना पाओगे '
अपने देश के कानून से तुम खुद ही जूझ ना पाओगे |
जब "संप्रदायिक हिंसा बिल अधिनियम " के नाम पर तुमको मिटाया जायेगा '
और तुम्हारी ही संम्पति पर कब्ज़ा करके गेरो पर लुटाया जायेगा |
यह देख हर भारतवासी अपने भारतीय होने पर खेद करेगा
क्यों की धर्म निरपेक्ष राष्ट्र का नारा देने वाला ही इंसानों में भेद करेगा |


"जिन सपनो के भारत का निर्माण हमको करना था '
अपने पूर्वजो के पुण्य विचारो से उसको रचना था |
पर अंग्रेजी विचारो का चूना हमने अपनी नीव में लगाया है
और अपनी संस्कृति के प्रकाश का दीपक अपने हाथो से बुझाया है |
जब अखंड भारत निर्माण के संकल्प पर मतभेद होगा
तब तुम्हे भी अपने भारतीय होने पर खेद होगा | 

*************राजेश कुमार "आतिश"**************

Saturday, 11 January 2020

के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |



चुनाव आते ही भारत वर्ष में चुनाव छेत्रों का अगर दौरा किया जाये तो एक अलग ही
मेले जैसे माहोल देखने को मिलता है जगह जगह रेलियाँ .. उम्मीदवार के नाम की झंडियाँ
ऐसा लगता है ,जैसे  कोई राष्ट्रिय पर्व हो | वैसे मेरे विचार से चुनवों को
राष्ट्रिय पर्व घोषित कर ही देना चाहिए |
सभी राजनेतिक पार्टियों और भारत के सबसे बड़े राष्ट्रिय पर्व चुनाव के लिए
कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएँगी ... जय माँ भारती ......

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"के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |
हर गली नुक्कड़ पर नेताओ की सभा काल होगी '
सालों में एक बार चाँद वो दिन भी आते हैं |
भूले नहीं है वो हमे ,हम उन्हें याद आते है |
तब सुनते है वो सबकी ,मुख़ पे बोली कमाल  होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"हर बार की तरह हम फिर चाँद सवाल उठाएंगे |
टाल मटोल मंत्री जी वादा दे कर निकल जायेंगे
हाथ में थमाकर चुनावी निशान की बत्ती जला जायेंगे |
देंगे नहीं हम बुझने कभी ये भी बता जायेंगे |

''न बिजली है न पानी है ,बत्ती जलाना  हमारी मज़बूरी है |
पर नेता जी के लिए तो चुनाव चिन्ह ,हर घर में जलना ज़रूरी है
महंगाई की ऐसी मार है,आम आदमी की धोती फट के रुमाल होगी
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"फिर सभाओं जलसों ,रेलियों का दौर होगा |
हर गली मोहल्लों में नेताजी के नारों का जोर होगा |
बाटें जायेंगे परचे साथ में नोट होंगे |
किये जायेंगे वादे , और मांगों में वोट होंगे |

''सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए अभिनेत्रियाँ बुलाई जाएँगी |
जो भाषण देने की एक्टिंग करके चली जाएँगी |
मंच पर सजती क्रुसियाँ और बिछती त्रिपाल होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"सभाओं में हर नेता दुसरे को बुरा बताएगा |
कुछ भी करके जितने का चक्कर चलाएगा | 
जनता के सामने खुद को इस तरह दिखायेगा |
की उससे बड़ा देश भक्त ना आया था, और ना आयेगा|

''धर्म के मुद्दों को लेकर फिर राजनीती की जाएगी |
हम एक है ना नारा देने वाली पार्टियाँ ही बटवारा फेलायेंगी |
आरक्षण के मुद्दे को लेकर फिर बवाल होगा
कोन किस्से बेहतर है ,हर तरफ बस यही सवाल होगा |

''झूठे वादों के परचम हवा में लहरायेंगे |
नेताजी बड़ी शान से अपनी पार्टी का गुण गान गायेगे |
नेताजी की मीठी बोली पर जनता फिर निहाल होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"होंगे कुछ पुराने सपने कुछ नए दिखाए जायेंगे |
सड़के होंगी ठीक पेट्रोल गेस के दाम गिराए जांयेंगे |
हर चुनाव का पक्का वादा गरीबी हम हटाएँगे|
गरीबी ना हटी तो गरीब ही हट जायेगा |
उसके हिस्से की रोटी खालो वो वेसे ही मर जायेगा |

" ना सुधरा है ना सुधरेगा ये प्रजातंत्र नहीं चुनाव तंत्र हैं |
नेताओं की बगलों में दबा लाचार गणतंत्र है
चुनाव के बाद उन गली नुक्कड़ की हालत फिर बदहाल होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

*************राजेश कुमार "आतिश"**************

हक नहीं कहने का उनको ये मेरा हिंदुस्तान है ....


"ये सिर्फ माटी नहीं हमारी इसमे हमारे प्राण है
फिर क्यूँ भूल गए हम उनको ,जो हुए यहाँ कुर्बान है
''अपने हाथो से मिटने में लगे हम अपनी पहचान है
बढता हुआ है इंडिया ,और दम तोड़ रहा हिंदुस्तान है

"अपने संस्कारों से हम आज खुद हो रहें अन्जान है
दूसरी संस्कृति में खो जाना ,क्या नहीं ये खुद का अपमान है
"वीरो की जननी है ये , इसे देवो का वरदान है
ऋषियों के ताप का फल है ये ,विश्वगुरु का सम्मान है

"हमारे पूर्वजो के पुण्यों के फेले यहाँ निशान है 
फिर भी हम कर रहें आज गेरों पर अभिमान है
"भ्रस्टाचार में लिप्त यहाँ ,कई नेता बेईमान है
नीतियों में इनकी पिस गया आम इंसान है

"लागु करते है हर वर्ष ये नया प्रावधान हैं
फिर भी आत्महत्या कर रहा रोज़ यहाँ किसान है
"अपनों को बेघर कर बना रहें ,गेरों के लिए महल आलीशान है
यहाँ भूख से लाचार है गरीब , और न रहने को मकान है

"बिस्मिल के दिल में थे कभी शायद ,आज के हालत हैं खटके
इसलिए उसने कहा था, याद कर लेना हम को भी भूले भटके
"गिला नहीं उनसे जो कर रहें अपनों को बदनाम है
भारत में बची शायद आज भी अंग्रेजों की संतान है

"हम क्या थे हम क्या बन रहें हैं
क्यूँ हम खुद को खुद से दूर कर रहें हैं
"थमाया है तीर गेरों ने मगर ,अपनों के हाथो में कमान है
शायद ये आज के नेताओं का नया बलिदान है
"बहार जा कर बसा रहें जो अपना जहान है (काला धन )
हक नहीं कहने का उनको ये मेरा हिंदुस्तान है  ....

*************राजेश कुमार "आतिश"**************

Wednesday, 8 January 2020

"हमको ही जलना हैं बारूद बनके इस वतन को बचाने में "


''जहाँ गाय कटती हो कत्लखानो में " बिकता माँस महँगा दुकानों में
"मिले दूध माखन नकली "कान्हा को भोग लगाने में"
क्यों कि"गौधन काटा जा रहा,विदेशों को पहुँचाने में
"और करोडो की छूट दे रही "सकरार "कत्लखाने खुलवाने में

"**********************************
"जब संतोंको अनशन करना पड़ता है। गैचार भूमि बनवाने में "
"यहाँ मर गए संन्यासी सेकड़ों गौमाता को बचाने में
जहाँ कुत्ते शान से रहते दिखे "ऊँचे-ऊँचे मकानों में
"और गाय घूमती मिल जाएँ कचरे के ढेर और पखानो में"

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"असली अनाज उगता नहीं अब खेत खलिहानों में "
"दूध, दही ,मठा, हो गए दुर्लभ अब रोज़ के खानो में "
आर्थिक "संपन्नता" नहीं दिखे "मेरे देश के किसानो में
"किस मुँह से कहे की भारत बसता हैं "गाँवों " में "

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"गिनती होती नहीं यहाँ "अब इंसानो की इंसानो में
"मर जाते हैं।"सैंकड़ों" लिए उम्मीद का हक पाने में"
ईमान बिकता हैं यहाँ आज "कौड़ियों" के दामो में
"हम विश्वास करते थे जिन पर वो जा मिले बेगानो में "

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"अपनों के हाथों कैद हो रहें अपने ही मकानों में
"धर्म-कर्म पर कर लगायें सरकार हिन्दू घरानो में "
हम माफ़ करते हैं सोच के गलती हो गई अनजाने में
"और पीठ पर ही छुरा घोपना ही उनकी नियत हैं इमानो में "

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"जब पहरेदार ही सेंध ! लगाये ख़ज़ाने में "
"किस पर अब विश्वास जताएं पहरे पर बिठाने में
शहीद हो रहें" जवान भारत माँ की लाज बचाने में "
"मेरे देश के नेता आश्वासन देते ' हर बार नए बहाने में "

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"संस्कृति दम तोड़ती खड़ी मौत के मुहाने में"
और हम चीर निंद्रा में लींन पड़े मौज उड़ाने में "
"सर्वेभवन्तु सुखिनय" छोड़ लगे अपना आशियाँ सजाने में
"और" पीडी हो रही बर्बाद दूसरों के भरोसे संस्कार सिखाने में "

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"जो अपने"शाश्त्रो"की रक्षा न कर पाये इस अधर्मी ज़माने में
"क्यूँ "नारायण "अवतार में आये बनके कल्कि तुम्हे बचाने में "
आज़ाद, भगत ,की चाह हैं "सबको जन्म ले फिर से इस ज़माने में
पर नहीं चाहता हैं "कोई" वो पैदा हो मेरे घराने में "

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"चलो हम ही अपनी आहुति दे।इस बगिया को महकाने में "
"हमको ही जलना हैं बारूद बनके इस वतन को बचाने में "

*************राजेश कुमार "आतिश"**************


Monday, 6 January 2020

'सेकुलरवाद यहाँ हर एक चौक पर बिकता हैं '


"जला रहें हैं जो समाज को सेकुलरवाद के छालो से 
घृणा हो रही हैं झूठा साहित्य लिखने वालो से '
'''राष्ट्रिय पुरस्कार लौटाना क्या नहीं राष्ट्र का अपमान हैं 
राष्ट्र से बढ़कर क्या तुम्हारा सम्मान हैं '' 

''हुई घटनाएँ बहुत देश में 'क्यूँ सौहार्द आज तुम्हे याद आता हैं ''
''सिक्खों के सँहार पर तुम्हे क्यूँ साँप सूंघ जाता हैं। 

''कश्मीरी पंडितो के पलायन पर मोन हमेशा रहते हों। 
जलते घर लूटती बेटियों की इज़्ज़त पर कुछ नहीं कहते हो। 

''नक्सलवाद और माओवाद ने देश को भीतर घात दिए
'पर तुम्हारी लेखनी  ने हमेशा ही उनके साथ दिए। 

''गौ हत्यारे की हत्या पर तुरंत तुमने बयान दिए
'गौ रक्षकों की हत्याओं पर नहीं किसी ने संज्ञान लिए। 

''दादरी की घटना पर आज ज़मीर तुम्हारे जाग गये
'आज़ाद मैदान की हिँसा पर तुम क्यूँ मुंह फेर के भाग गये। 

''हुई राष्ट्रीय छति  बहुत पर तुमने मुँह  नहीं खोले थे। 
शहीद स्मारक तोड़ने वाले क्या तुम्हारी नज़र में बहुत भोले थे। 

''किसी धर्म गुरु के अपमान पर गोली मारना जायज़ हैं।
 और मेरी माँ के क़त्ल पर मेरा बोलना भी नाजायज़ हैं। 

''कुत्ता  पालने वाला यहाँ पशु प्रेमी  बन जाता हैं
'शेर बचाओ कहने पर कोई समाज सेवी कहलाता हैं '
''में गाय मत काटो कहता हूँ ,तो क्यूँ  कट्टर बन जाता हूँ। 
जिस  माँ का दूध पिया उसे ही तो बचाता  हूँ। 

''ज़िंदा जले कार सेवको की लाशें मेरे मन पर भारी हैं
'कलम तुम्हारी कुछ नहीं बोली उन पर यह कैसी लाचारी हैं। 

''गैस त्रासदी पर चुप रहने वाले सब इतिहासकार ओछे हैं
,क्या किसी मज़लूम के कभी 'आँसु भी इन्होने पोंछें हैं। 

''चरण चाटु परम्परा का बस तुमने निर्वाहन किया
' भरी स्याही चापलूसी की और झूठा गुणगान किया। 

''असत्य और अतथ्य भरा झूठा पाठ गढ़ते हो
'आने वाली पीढ़ियों पर क्यूँ झूठा इतिहास मढ़ते हो। 

''आज नहीं तो कल इतिहास खुद को खोजेगा
'हर पुरानी ईमारत की नींव को फिर से खोदेगा। 

''लाल किला लाल कोट बनेगा 'ताज ! तेजोमहालय कहलायेगा। 
होगी स्थापना शिवलिंग की महाकाल का मन्त्र सुनाया जाएगा। 

''वेदो को तुमने पढ़ा ,नहीं द्रविड़ों को बाहर किया ,
''आर्यों को आक्रांता बताया ' कम महाराणा का जोहर किया। 

''अँग्रेज़ तुम्हारी नज़र में भोले 'मुगलो को तुमने मान दिया '
'' अपनी संस्कृति को कोसा 'लिखा सिर्फ पश्चिम ने हमको ज्ञान दिया। 

''मुनव्वर तुमको किसने ''राणा'' उपनाम दिया '
हैं पूर्वज तेरे भी हिन्दू क्यों उनको बदनाम किया। 
''मानता हैं गर तू ये मुगलो से रिश्ता पुराना  हैं 
बता अरब में कौन से ''राणा '' नाम का घराना हैं। 

''राष्ट्र ने मान स्वरुप तुम सबको पुरस्कार दिया ,
और तुम सब ने घ्रणित रूप से उनको तिरस्कार किया। 

''अच्छा हुआ इस देश ने तुम सबका असली चेहरा देख लिया ,
उठता हुआ सेकुलरवाद से नकली पहरा देख लिया 
''पुरस्कार लौटकर तुमने पुरस्कार का मान रखा ,
नहीं काबिल थे,तुम उसके इसका तुमने पहचान रखा। 

''जिस राष्ट्र में जन्म लिया उस संस्कृति का ज़रा भी ज्ञान हैं
,क्या गंगा ,जमुना तहज़ीब का 'नारा ही बस इसकी पहचान हैं। 

''शंखधव्नि ,पुष्प आरती मंदिर की शोभमान हैं ,
पर तुम्हारे ज़हन में सिर्फ क्यूँ अज़ान हैं '
''धर्मनिरपेक्षता का मतलब सर्वधर्म सम्भाव हैं
 पर तुम्हारी निरपेक्षता पर क्यूँ एक धर्म का प्रभाव हैं। 

 ''धर्मनिरपेक्षता का तुम्हारा यह दोहरा चरित्र दीखता हैं
'सेकुलरवाद यहाँ हर एक चौक पर बिकता हैं ' 
*************राजेश कुमार "आतिश"**************