वो देश भक्ति का मतलब हमको ही समझाने लगे है ,
" इस कलयुग में जहाँ अपनों ने अपनों का साथ छोड़ा है
तुम गेरों के लिए आवाज़ उठाते हो ,
छोड़ो ये राष्ट्र भक्ति और स्वदेशी का नारा,
क्यूँ इसमे अपनी ज़िन्दगी खपाते हो
क्यूँ इसमे अपनी ज़िन्दगी खपाते हो
" आओ तुम्हे में नया हुनर सिखाता हूँ ,गेरों को तो छोड़ो
अपनों को लुटने का मन्त्र बताता हूँ ,
ना लोक तंत्र ,ना प्रजातंत्र ,चुनाव तंत्र को सिख के आगे बढ़ो ,
और सबसे पहला कदम ही देश के स्वाभिमान पर धरो |
" देखो चुनाव में लोगो को एक दूसरे के खिलाफ भड़काना होता है
और देना गरीबी हटाने के आश्वासन का बहाना होता है
" इस तरह गोलमाल तरीको से तुम भी चुनाव जीत जाओगे |
फिर अपनी ही पार्टी में ऊँचे पद के लिए शर्त लगाओगे ,
" पद पर बैठते ही तुम भी कुछ नीतिया ,कुछ प्रस्ताव,
और कुछ योजनाये लागू करना ,
और उन्ही पैसों से तुम अपने विदेशी खाते,घर ,और तिजोरियां भरना |
" इस तरह तुम्हे भी बंगले में रहना और मंहगी कारो में घूमना भाने लगेगा |
और तुम्हारा भी मन गेरों को तो क्या अपनों को सताने में लगेगा
" तब तुम भी बहुत जल्द ये भाई चारा भूल जाओगे ,
और रोटी ,पाव तो क्या पशु चारा भी खा जाओगे ,
" इस तरह तुम पूर्णत:इमानदार भ्र्स्ताचारी बन जाओगे |
और तब जाके तुम असली नेता कहलाओगे
क्यों की एक नेता ही पूर्ण और निष्पक्ष रूप से,
और इमानदार तरीको से भ्रस्टाचार करता है |
और इस तरह वो अपनी पूरी ईमानदारी का सबूत
हर विभाग , दफ्तर और कार्यालय में धरता है |
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*************राजेश कुमार "आतिश"**************
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