घृणा हो रही हैं झूठा साहित्य लिखने वालो से '
'''राष्ट्रिय पुरस्कार लौटाना क्या नहीं राष्ट्र का अपमान हैं
राष्ट्र से बढ़कर क्या तुम्हारा सम्मान हैं ''
''हुई घटनाएँ बहुत देश में 'क्यूँ सौहार्द आज तुम्हे याद आता हैं ''
''सिक्खों के सँहार पर तुम्हे क्यूँ साँप सूंघ जाता हैं।
''कश्मीरी पंडितो के पलायन पर मोन हमेशा रहते हों।
जलते घर लूटती बेटियों की इज़्ज़त पर कुछ नहीं कहते हो।
''नक्सलवाद और माओवाद ने देश को भीतर घात दिए
'पर तुम्हारी लेखनी ने हमेशा ही उनके साथ दिए।
''गौ हत्यारे की हत्या पर तुरंत तुमने बयान दिए
'गौ रक्षकों की हत्याओं पर नहीं किसी ने संज्ञान लिए।
''दादरी की घटना पर आज ज़मीर तुम्हारे जाग गये
'आज़ाद मैदान की हिँसा पर तुम क्यूँ मुंह फेर के भाग गये।
''हुई राष्ट्रीय छति बहुत पर तुमने मुँह नहीं खोले थे।
शहीद स्मारक तोड़ने वाले क्या तुम्हारी नज़र में बहुत भोले थे।
''किसी धर्म गुरु के अपमान पर गोली मारना जायज़ हैं।
और मेरी माँ के क़त्ल पर मेरा बोलना भी नाजायज़ हैं।
''कुत्ता पालने वाला यहाँ पशु प्रेमी बन जाता हैं
'शेर बचाओ कहने पर कोई समाज सेवी कहलाता हैं '
''में गाय मत काटो कहता हूँ ,तो क्यूँ कट्टर बन जाता हूँ।
जिस माँ का दूध पिया उसे ही तो बचाता हूँ।
''ज़िंदा जले कार सेवको की लाशें मेरे मन पर भारी हैं
'कलम तुम्हारी कुछ नहीं बोली उन पर यह कैसी लाचारी हैं।
''गैस त्रासदी पर चुप रहने वाले सब इतिहासकार ओछे हैं
,क्या किसी मज़लूम के कभी 'आँसु भी इन्होने पोंछें हैं।
''चरण चाटु परम्परा का बस तुमने निर्वाहन किया
' भरी स्याही चापलूसी की और झूठा गुणगान किया।
''असत्य और अतथ्य भरा झूठा पाठ गढ़ते हो
'आने वाली पीढ़ियों पर क्यूँ झूठा इतिहास मढ़ते हो।
''आज नहीं तो कल इतिहास खुद को खोजेगा
'हर पुरानी ईमारत की नींव को फिर से खोदेगा।
''लाल किला लाल कोट बनेगा 'ताज ! तेजोमहालय कहलायेगा।
होगी स्थापना शिवलिंग की महाकाल का मन्त्र सुनाया जाएगा।
''वेदो को तुमने पढ़ा ,नहीं द्रविड़ों को बाहर किया ,
''आर्यों को आक्रांता बताया ' कम महाराणा का जोहर किया।
''अँग्रेज़ तुम्हारी नज़र में भोले 'मुगलो को तुमने मान दिया '
'' अपनी संस्कृति को कोसा 'लिखा सिर्फ पश्चिम ने हमको ज्ञान दिया।
''मुनव्वर तुमको किसने ''राणा'' उपनाम दिया '
हैं पूर्वज तेरे भी हिन्दू क्यों उनको बदनाम किया।
''मानता हैं गर तू ये मुगलो से रिश्ता पुराना हैं
बता अरब में कौन से ''राणा '' नाम का घराना हैं।
''राष्ट्र ने मान स्वरुप तुम सबको पुरस्कार दिया ,
और तुम सब ने घ्रणित रूप से उनको तिरस्कार किया।
''अच्छा हुआ इस देश ने तुम सबका असली चेहरा देख लिया ,
उठता हुआ सेकुलरवाद से नकली पहरा देख लिया
''पुरस्कार लौटकर तुमने पुरस्कार का मान रखा ,
नहीं काबिल थे,तुम उसके इसका तुमने पहचान रखा।
''जिस राष्ट्र में जन्म लिया उस संस्कृति का ज़रा भी ज्ञान हैं
,क्या गंगा ,जमुना तहज़ीब का 'नारा ही बस इसकी पहचान हैं।
''शंखधव्नि ,पुष्प आरती मंदिर की शोभमान हैं ,
पर तुम्हारे ज़हन में सिर्फ क्यूँ अज़ान हैं '
''धर्मनिरपेक्षता का मतलब सर्वधर्म सम्भाव हैं
पर तुम्हारी निरपेक्षता पर क्यूँ एक धर्म का प्रभाव हैं।
''धर्मनिरपेक्षता का तुम्हारा यह दोहरा चरित्र दीखता हैं
'सेकुलरवाद यहाँ हर एक चौक पर बिकता हैं '
*************राजेश कुमार "आतिश"**************
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