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Saturday, 11 January 2020

के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |



चुनाव आते ही भारत वर्ष में चुनाव छेत्रों का अगर दौरा किया जाये तो एक अलग ही
मेले जैसे माहोल देखने को मिलता है जगह जगह रेलियाँ .. उम्मीदवार के नाम की झंडियाँ
ऐसा लगता है ,जैसे  कोई राष्ट्रिय पर्व हो | वैसे मेरे विचार से चुनवों को
राष्ट्रिय पर्व घोषित कर ही देना चाहिए |
सभी राजनेतिक पार्टियों और भारत के सबसे बड़े राष्ट्रिय पर्व चुनाव के लिए
कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएँगी ... जय माँ भारती ......

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"के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |
हर गली नुक्कड़ पर नेताओ की सभा काल होगी '
सालों में एक बार चाँद वो दिन भी आते हैं |
भूले नहीं है वो हमे ,हम उन्हें याद आते है |
तब सुनते है वो सबकी ,मुख़ पे बोली कमाल  होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"हर बार की तरह हम फिर चाँद सवाल उठाएंगे |
टाल मटोल मंत्री जी वादा दे कर निकल जायेंगे
हाथ में थमाकर चुनावी निशान की बत्ती जला जायेंगे |
देंगे नहीं हम बुझने कभी ये भी बता जायेंगे |

''न बिजली है न पानी है ,बत्ती जलाना  हमारी मज़बूरी है |
पर नेता जी के लिए तो चुनाव चिन्ह ,हर घर में जलना ज़रूरी है
महंगाई की ऐसी मार है,आम आदमी की धोती फट के रुमाल होगी
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"फिर सभाओं जलसों ,रेलियों का दौर होगा |
हर गली मोहल्लों में नेताजी के नारों का जोर होगा |
बाटें जायेंगे परचे साथ में नोट होंगे |
किये जायेंगे वादे , और मांगों में वोट होंगे |

''सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए अभिनेत्रियाँ बुलाई जाएँगी |
जो भाषण देने की एक्टिंग करके चली जाएँगी |
मंच पर सजती क्रुसियाँ और बिछती त्रिपाल होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"सभाओं में हर नेता दुसरे को बुरा बताएगा |
कुछ भी करके जितने का चक्कर चलाएगा | 
जनता के सामने खुद को इस तरह दिखायेगा |
की उससे बड़ा देश भक्त ना आया था, और ना आयेगा|

''धर्म के मुद्दों को लेकर फिर राजनीती की जाएगी |
हम एक है ना नारा देने वाली पार्टियाँ ही बटवारा फेलायेंगी |
आरक्षण के मुद्दे को लेकर फिर बवाल होगा
कोन किस्से बेहतर है ,हर तरफ बस यही सवाल होगा |

''झूठे वादों के परचम हवा में लहरायेंगे |
नेताजी बड़ी शान से अपनी पार्टी का गुण गान गायेगे |
नेताजी की मीठी बोली पर जनता फिर निहाल होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

"होंगे कुछ पुराने सपने कुछ नए दिखाए जायेंगे |
सड़के होंगी ठीक पेट्रोल गेस के दाम गिराए जांयेंगे |
हर चुनाव का पक्का वादा गरीबी हम हटाएँगे|
गरीबी ना हटी तो गरीब ही हट जायेगा |
उसके हिस्से की रोटी खालो वो वेसे ही मर जायेगा |

" ना सुधरा है ना सुधरेगा ये प्रजातंत्र नहीं चुनाव तंत्र हैं |
नेताओं की बगलों में दबा लाचार गणतंत्र है
चुनाव के बाद उन गली नुक्कड़ की हालत फिर बदहाल होगी |
के आ गए चुनाव देखो अब भेडचाल होगी |

*************राजेश कुमार "आतिश"**************

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