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Sunday, 3 May 2020

रोशन कर दें हर जज़्बात वो किताब बनना चाहता हूँ।


''किसी की आँखों का सपना बनना चाहता हूँ। 
 जो चाहें सिर्फ मुझे उसका अपना बनना चाहता हूँ। 

''किसी दिल से मांगी मुराद बनना चाहता हूँ। 
 किसी की निगाहों का ख्वाब बनना चाहता हूँ। 

''गिरती फूलों पर वह पहली ओस बनना चाहता हूँ। 
 हर दिल में जगा दे  वो जोश बनना चाहता हूँ। 

''उस भटकती निगाहों की मंज़िल बनना चाहता हूँ। 
 एक डूबती कश्ती का साहिल बनना चाहता हूँ। 

''किसी दिल से उठती हुई आवाज़ बनना चाहता हूँ। 
 किसी गुमनाम सितार का साज़ बनना चाहता हूँ। 

''किसी दिल में दबे दर्द का एहसास बनना चाहता हूँ। 
 हर दिल में छुपी कुछ पाने की आस बनना चाहता हूँ। 

''बारिश में उस पहले चुम्बन की मिठास बनना चाहता हूँ। 
 तेरे हर गम को पि जाए वह प्यास बनना चाहता हूँ। 

''किसी धड़कते दिल की साँस बनना चाहता हूँ। 
 हमेशा जगा रहें दिल में वह विश्वास बनना चाहता हूँ। 

''किसी के दिल में छुपा हुआ राज बनना चाहता हूँ। 
  तेरे हर सवाल का जवाब  बनना चाहता हूँ। 

''किसी की लेखनी की कही बात बनना चाहता हूँ। 
 रोशन कर दें हर जज़्बात वो किताब बनना चाहता हूँ। 

 **********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********

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