‘’अन्जान राहों में। थामोगे वो हाथ हूँ में।
तेरे दिल का हर जज़्बात हूँ में।
‘’बुझ ना सके जो तूफानों में। कभी
बन के लौ हर पल तेरे साथ हूँ में।
‘’भुला ना सको वो मुलाकात हूँ में।
तेरी जुबां से निकली हर बात हूँ में।
‘’सजायें हैं पलकों पे तूने जो मोती
तुझे दी हुई यादों की वो सौगात हूँ में।
‘’छुपाती हो दिल में। वो राज़ हूँ में।
पड़ती हो तुम जो वो नमाज़ हूँ में।
‘’मांगा हैं तुमने जिसको खुदा से
तेरे दिल से निकली वो आवाज़ हूँ में।
‘’भिगों तुम जिसमे वो बरसात हूँ में।
हो ना सुबहा जिसकी वो रात हूँ में।
‘’पहलु में। बेठे रहों तुम जिसके
वो हंसी खुबसूरत कायनात हूँ में।
**********राजेश कुमार ’’आतिश’’**********
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