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Tuesday, 28 April 2020

नमन करना सदेव 'राष्ट्र पर मिटने वालो को।


हम अपने घरो में महफूज़ हैं। क्यूंकि हम जानते हैं की सरहदों पर हमारे सेनिक खड़े हैं।
दुश्मनों को नेस्तोनाबुत करने के लिए ताकि हम सुकून से जी सके,यह भारत भूमि
सुरक्षित रहें। और विकास के मार्ग पर निरंतर बढ़ती रहें।

''सरहदे हैं रोशन ''जिन घर के चिरागों से।
झड जाते हैं फूल ''हर रोज़ कुछ बागों से।

''हम रहतें हैं सुकून से जिस आशियाने में।
बहाया हैं लहूँ किसी ने उसे बचाने में।

''महक रहीं हैं खुशबु ''आज इन हवाओं में।
मिला हैं लहूँ किसी का इन फिजाओं में।

''सरकार का दोगलापन कायम हैं सालो से।
करती हैं गद्दारी अपने ही घर के लालो से।

''गर्व हैं हमे अपनी सेनाओं पे।
सलामत हैं इनके दम से शीश माताओं कें।

''याद रखो तुम ,उन सभी मात्रभूमि के लालो को।
 नमन करना सदेव 'राष्ट्र पर मिटने वालो को। 

***********राजेश कुमार ’’आतिश’’*********** 

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